
शहर में जाम की बड़ी समस्या ई-रिक्शा
हरिद्वार। शहर में जाम की बड़ी समस्या बन चुके ई-रिक्शाओं के रूट निर्धारण पर यात्रा सीजन को देखते हुए भी संबंधित अधिकारियों का कोई फोकस दिखाई नहीं दे रहा है। शहर में चल रहे अनगिनत ई-रिक्शाओं पर आखिर रूट प्लान कब लागू होगा? यह यक्ष प्रश्न प्रशासन के सामने सुरसा रूपी मुॅंह बाये खड़ा हैं।
शहर में ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे ई-रिक्शा की मनमानी पर ब्रेक लगाने में प्रशासन अभी तक असफल रहा हैं। पिछले वर्ष रूट प्लान निर्धारित करने के लिए ई-रिक्शा यूनियन के पदाधिकारियों की ट्रैफिक अफसरों ने संग हुई बैठक में शुरूआत भी की थी। जिसके बाद कुछ दिन तक पुलिस ने रूट प्लान पर वर्क भी किया था, परन्तु सप्ताह बाद ही निर्धारित रूट प्लान ठंडे बस्ते मे चला गया। अर्थात नतीजा ढाक के तीन पात रहा । इसके पश्चात सड़कों पर ई-रिक्शा जहां चाहा, वहां चलाने का ढर्रा फिर से मनमानी वाली स्थिति पर आ चुका हैं ।
अगर प्रशासन सख्ती से रूट प्लान का पूरी तरह से अमल में लाने पर विचार करे तो शहर में लगने वाले जाम में बड़ा चेंज दिखाई देगा। क्योंकि शहर में ई-रिक्शा का रूट क्लियर हो जाने के बाद एक सिस्टम से उनका संचालन होगा। फिर चालक ई-रिक्शा को पूरी रोड पर चकरी की तरह नहीं घुमा सकेंगे। रूट निर्धारित और बनाए गए नियमों का उल्लंघन करने या कलर कोड रूट तोडऩे वालों पर पुलिस व ट्रैफिक पुलिस सख्त एक्शन लेगी तो शहर के मुख्य मार्ग , रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, शिवमूर्ति, नगर कोतवाली के समीप, भीम गोडा के सामने सहित गली-मौहल्ले में लगने वाले जाम से भी लोगों को निजात मिल जाएगी।
शहर में ई-रिक्शा के संचालन पर कंट्रोल इसलिए भी जरूरत है कि हरिद्वार तीर्थ स्थली है और अब यात्रा सीजन भी सर पर हैं। जिससे शहर की सड़कों पर यात्रियों के साथ-साथ वाहनों का दबाब भी बढ़ जाएगा। ऐसी स्थिति में यदि चालक इसी बेअंदाज तरीके से ट्रैफिक नियमों को यह ई-रिक्शा चालक रौंदते रहेंगे तो उस वक्त लगने वाले जाम को संभाल पाना मुश्किल हो जाएगा। दूसरी और अहम बात यह है कि यह ई-रिक्शा चालक अप्रशिक्षित होते हैं। ऐसे में वह फुटपाथ पर ही नहीं रोड और चौराहे पर आधा से एक घंटे तक खड़े रहते हैं।
प्रशिक्षण के अभाव और सवारियों की चाहत में थोड़ी सी जगह पाते ही चालक ई-रिक्शा का अगला हिस्सा किसी भी वाहन के सामने अड़ा देते हैं। ऐसे में बेवजह जाम जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है। इनकी इस मनमानी से लगने वाले जाम में लोगों का वक्त बेवजह बर्बाद होता है। जाम में फंसे होने से कार, बाइक व बस आदि का जो तेल धुआं बनकर उड़ता है वह अलग, हद तो यह है कि एम्बुलेंस तक के आने पर भी ई रिक्शा चालक रास्ता देना गवारा नहीं समझते।
विशेष मेलों एवं धार्मिक अवसरों पर सड़कों पर अत्यधिक संख्या में ई-रिक्शा ,ऑटो , विकम संचालन के चलते यातायात व्यवस्था पूर्ण रूप से बाधित हो जाती है। इसके दृष्टिगत इन अवसरों पर आने धर्मनगरी में आने वाले यात्रियों के साथ स्थानीय लोगों को जाम की समस्या से न जूझना पड़े और एक प्लान के तहत शहर में वाहन संचालित हो, इस विषय व्यवस्था देख रहे जिम्मेदार अधिकारियों को विचार मंथन करना चाहिए।
नगर कोतवाल रितेश शाह की ई-रिक्शाओं पर कोतवाली मार्ग से हर की पैड़ी तक के प्रवेश पर रोक की पहल के बाद क्षेत्र में अनावश्यक लगने वाले जाम से मिली निजात यात्रियों और व्यापारियों के लिए राहत भरी हैं।
अब देखना होगा कि पहल आगामी दिनों में शहर की सड़कों पर यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए संबंधित अधिकारी अनगिनत ई-रिक्शाओं एवं चालकों की मनमानी पर किस योजना के तहत अंकुश लगाते हैं।