
फर्जी डिग्री के आधार पर दे रहा हैं चिकित्सा सेवाएं
मरीजों की जान से हो रहा हैं खिलवाड़ , प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हैं मौन
हरिद्वार। फर्जी डॉक्टरों ने भी हर गली-मोहल्ले में अपने क्लीनिक खोल लिए हैं। क्लीनीक ही नहीं शहर के नामचीन अस्पतालों में भी बीएएमएस पाठयक्रम की परीक्षा को बिना उत्तीर्ण किए ही मुन्ना भाई फर्जी डिग्री के आधार पर अपनी चिकित्सा सेवाएं दे रहा हैं। वर्तमान में फर्जी डिग्री धारक युवक बतौर चिकित्सक के पद पर नियुक्त हैं और शहर के व्यस्त क्षेत्र स्थित अस्पताल में बैखौफ अस्पताल में आने वाले मरीजों का उपचार कर उनके जीवन से खिलवाड़ करने में लगा हैं। लंबे समय से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों लापरवाही एवं उनके द्वारा कार्रवाई न किए जाने से फर्जी डिग्रीधारक चिकित्सक एवं झोलाछाप चिकित्सकों की संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है।
ताजा मामला मध्य हरिद्वार क्षेत्र स्थित चर्चित अस्पताल का हैं जहां इन दिनों बीएएमएस की फर्जी डिग्रीधारक बतौर चिकित्सक मरीजों का इलाज कर रहा हैं।
सूत्र बताते हैं कि मध्य हरिद्वार स्थित यह पहला अस्पताल नहीं फर्जी डिग्री के आधार पर यह चिकित्सक के तौर पर हरिद्वार के कई नामचीन अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे चुका हैं। चिकित्सक के विषय में शक होने के बाद जब जानकारी निकाली गई तो वहां इस चिकित्सक को बीएएमएस की परीक्षा में फेल होना बताया गया हैं। इसके बावजूद फर्जी डिग्रीधारक युवक ने आयुवेर्दिक चिकित्सक पद्धति परीक्षा में फेल होने के बाद भी कहीं से पास होने की डिग्री प्राप्त कर ली और इसी फर्जी डिग्री के आधार पर भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखण्ड देहरादून से फर्जी डिग्रीधारक युवक ने अस्थाई निबंधन प्रमाण पत्र निर्गत करा लिया ।
अब इस मामले में शिकायत के बाद के बाद उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिसर निदेशक गुरूकुल परिसर हरिद्वार ने रजिस्ट्रार चिकित्सा परिषद उत्तराखण्ड देहरादून को आरोपी छात्र के अस्थाई निबंधन को निरस्त करने के साथ ही छात्र के खिलाफ जांच एवं विधिक कार्रवाही के लिए पत्र प्रेषित किया हैं।
नगर में गली-मौहल्लों से लेकर तमाम निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं। अधिकांश अस्पतालों में न सिर्फ अप्रशिक्षित कर्मचारी ही नहीं बल्कि फर्जी डिग्रीधारक भी बतौर चिकित्सक कार्य कर रहे हैं , इसके के साथ-साथ शहर और ग्रामीण इलाकों में कई झोलाछाप डॉक्टर्स अपने क्लीनिक खोलकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
वहीं संबंधित विभाग के अधिकारी इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। जिससे इनके हौंसले बुलंद हो रहे हैं। स्थिति यह है कि इनके पास कोई डिग्री है न कोई इलाज करने का लाइसेंस है फिर भी यह लोगों का इलाज कर रहे है। यह सब स्वास्थ विभाग की अनदेखी एवं निष्क्रियता को सामने लाता है। जब फर्जी डॉक्टर्स के इलाज से मरीज के साथ कोई घटना घटित होती है। तब शासन-प्रसाशन और स्वास्थ विभाग जागता है और उसके बाद एक या दो फर्जी डॉक्टरों पर छापा डालकर अपनी जिम्मेदारी पूर्ण कर ली जाती है।