खनन ने लील ली एक और जिंदगी

हरिद्वार

खनन ने लील ली एक और जिंदगी
हरिद्वार। रोशनाबाद स्थित नवोदय नगर में खनन के गड्ढे में भरे पानी में किशोर की डूबने से मौत हो गई। जिस वजह से क्षेत्र के लोगों में शासन-प्रशासन के खिलाफ खासा रोष हैं। गंगा नदियों में अत्याधिक खनन लोगों के लिए मुसीबत तो बन ही रहा है साथ ही साथ पर्यावरण को भी क्षति पहुंचा रहा हैं। लेकिन इन सबमें प्रशासन की लापरवाही जगजाहिर हैं। क्योंकि खनन क्षेत्रों में होने वाले अवैध खनन पर शिकायत के बावजूद न तो स्थानीय प्रशासन की ही नींद टूटती हैं और न ही शासन इन खनन माफियाओं पर कोई लगाम लगा पता हैं ।
रोशनाबाद स्थित नवोदय नगर में सूखी नदी में खनन के लिए किए गए गहरे गड्ढे में डूबने से 15 वर्षीय बालक प्रियांशु की मृत्यु हो गई। मृतक किशोर अपने दो दोस्तों के साथ मौके पर गया था। इसी दौरान पैर फिसलने के कारण खनन के गड्ढे में भरे पानी में जा गिरा। उसे बचाने के लिए दोनों दोस्तों ने प्रयास किया और खुद भी बाल-बाल डूबते-डूबते बचे। घटना के कई घंटों बाद किशोर का शव खनन के लिए किए गए गहरे गड्ढे में भरे पानी से बरामद किया गया।
सूत्र बता रहे हैं कि सूखी नदी में खनन माफियाओं द्वारा वैध की आड़ में अवैध खनन किया जा रहा था। जेसीबी मशीनों से कई-कई फीट खनन के लिए खोदे गड्ढों में बरसात का पानी भरा हुआ था। गोताखोरों ने घंटों बाद उसका शव गड्ढे से निकाला। अपने लाल को मृत देख स्वजन दहाड़मारकर रोने लगे। घटना से नाराज लोगों ने शासन-प्रशासन के खिलाफ धरना प्रदर्शन करते हुए सड़क पर जाम लगा दिया। सिडकुल पुलिस ने कार्रवाई का भरोसा देकर आक्रोशित लोगों को शांत कराया।
घटना घट जाने के बाद भी कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मृतक के परिजनों को सांत्वना देने तक नहीं पहुंचा। यह हाल प्रशासनिक अधिकारियों का तब हैं जब कलेक्ट्रेट भवन से नवोदय नगर की दूरी चंद कदमों की हैं।

खनन के लिए खोदे गए गहरे गड्ढे बने जानलेवा
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हरिद्वार जनपद में गंगा नदी व उसकी सहायक नदियों में वैध अवैध उत्खनन का कार्य होता है। खनन सामग्री के लिए मानकों के विपरीत खोदे गए गड्ढे जानलेवा बनते जा रहे हैं। बृहस्पतिवार को जिस नवोदय नगर के पीछे जिस जगह यह हादसा हुआ वहां रौनदी किनारे मिट्टी/रेत उत्खनन के चलते खनन माफियाओं ने बड़े-बड़े कई गड्ढे बना दिए हैं। हरिद्वार में पहले भी खनन माफियाओं द्वारा बड़ी-बड़ी मशीनों को गंगा नदी में उतारकर खनन के लिए किए गए गड्ढों के चलते कई जानें जा चुकी हैं। लोगों की मानें तो प्रशासन को इस बावत कई बार बताए जाने के बाद भी नदियों व खेतों में हो रहे रेत, पत्थर और मिट्टी के उत्खनन को रोका नहीं जा सका है।

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