हरिद्वार। ज्वालापुर स्थित लाल मंदिर की धार्मिक एवं बेशकीमती संपत्ति में एक बार फिर से विवादों के चलते सुर्खियों में हैं। हरिद्वार ज्वालापुर क्षेत्र में नाथ संप्रदाय से जुड़ी बेशकिमती धार्मिक संपत्ति पर भू- माफियाओं की निगाहें लगी हैं। मामले में हरिद्वार पुलिस संपत्ति के विवादित प्रकरणों में संपत्ति पर दावेदार संतों की ओर से से लगातार एक दूसरे के खिलाफ मुकदमें दर्ज करने में जुटी है। लेकिन धार्मिक संपत्ति पर चल रहे फसाद की स्थिति के बावजूद संपत्ति कुर्क किए जाने संबंधी 145 की कार्रवाही के लिए कार्रवाही के लिए अब-तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई हैं। मामले में पुलिस की कार्यशैली को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या पुलिस एवं प्रशासन संपत्ति को लेकर होने वाली किसी बड़ी घटना के इंतजार में हैं।
धार्मिक बेशकिमती संपत्ति को साजिशन हड़पने के लिए ज्वालापुर क्षेत्र के चर्चित खनन माफिया और दिल्ली , हरियाणा के सफेदपोश भूमाफियाओं के द्वारा नित नए प्रयास किए जा रहे हैं। लालमंदिर की बेशकीमती संपत्ति को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। कभी संत बालकनाथ खुद को संपत्ति का उत्तराधिकारी बताकर कोतवाली ज्वालापुर में कई लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराता है। उसके बाद क्रशर स्वामी ने बालकनाथ के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया, जिसमें बालकनाथ को जेल भी जाना पड़ा।
सूत्र बताते हैं कि हाल ही में लाल मंदिर की संपत्ति हड़पने में लगा खनन माफिया उत्तरी हरिद्वार की भी एक ट्रस्ट की धार्मिक संपत्ति को अवैध तरीके से खरीद-फरोख्त करने में लगा हैं।
अब एक अन्य संत ने खुद को लालमंदिर का उत्तराधिकारी बताते हुए बालकनाथ समेत कई लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत प्रभावी धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। हैरानी की बात यह हैकि संपत्ति को लेकर नूराकुश्ती जारी है, पर पुलिस इस पूरे मामले में आखिर क्यों मूकदर्शक बनी है यह अपने आप में एक बड़ा सवाल हैं।