निर्दलियों ने उड़ाई राष्ट्रीय पार्टियों के उम्मीदवारों की नींद

हरिद्वार

हरिद्वार। नगर निकाय चुनाव नजदीक आने के साथ ही निर्दलियों ने भी चुनाव प्रचार में अपनी ताकत झोंकनी शुरू कर दी है। निर्दलीय उम्मीदवार दमदार तरीके से जनता के बीच पहुंचकर अपनी बात को रख रहे। इन निर्दलीय दावेदारों ने राष्ट्रीय दल के नेताओं की नींद उड़ा दी हैं। कई वार्डो में भाजपा और कांग्रेस पार्टियों से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं। अब-तक इन निर्दलीय प्रत्याशियों को हल्के में ले रही थी अब निर्दलीय उम्मीदवारों जोश और लोगों के मिल रहे जनसमर्थन से राष्ट्रीय पार्टियों के उम्मीदवारों में बेचैनी छायी हुई है।

हरिद्वार में हुए पिछले निकाय चुनाव राष्ट्रीय दलों के बीच ही सिमटे रहे। निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरे जरूर, लेकिन निर्दलियों को वोटरों ने बहुत गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन इस वर्ष मैदान में उतरे निर्दलीय प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्र में खासे दमखम वाले हैं।

उत्तरी हरिद्वार में वार्ड नम्बर एक में अनिल मिश्रा निर्दलीय उम्मीदवार हैं और पिछले निकाय चुनाव में भाजपा के सिंबल पर टिकट लेकर लड़े थे और जीते थे। अबकी बार किसी कारणों से टिकट कट जाने से निर्दलीय उम्मीदवार बनकर चुनाव मैदान में हैं।

कनखल वार्ड नम्बर 30 से निर्दलीय उम्मीदवार कांग्रेस से बगावत कर चन्द्रमोहन चौहान उर्फ जुगनु निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोंक रहे हैं। उन्होंने मतदाताओं के लगभग हर वर्ग में अपनी पैठ बनाई है।

कनखल वार्ड नंबर 27 में भी रोचक मुकबाला देखने को मिल सकता हैं। यहां बाईक मिस्त्री उमेश राजपूत उर्फ सोनी निर्दलीय प्रत्याशी दिनों दिन लोगों के बीच अपनी पकड़ बना रहे हैं। युवाओं में अच्छी पैठ रखने वाले सोनी के प्रचार का सादगी भरा तरीका भी मतदाताओं को लुभा रहा है। वह अपने चुनाव प्रचार में वे गंभीर मसलों को उठा रहे हैं और उन्हें क्षेत्र के लोगों का आपार जनसमर्थन मिलने का कारण पिछले पांच साल से क्षेत्र में पार्षद का कार्यकाल निराशाजनक और जनता के बीच से नदारद रहना बताया जा रहा हैं।

वार्ड नम्बर 49 से तन्मयी श्रोत्रिय निर्दलीय के तौर पर प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंक रही हैं। निर्दलीय प्रत्याशी तन्मयी भी अपने समर्थकों के साथ समर्थन जुटाने के लिए घर-घर पहुंच रहे हैं।

निर्दलीय प्रत्याशियों ने निकाय चुनावों को रोमांचक स्थिति में ला दिया है। फिलहाल राष्ट्रीय दलों के उम्मीदवारों में निर्दलीय उम्मीदवारों को लेकर खासी चिंता हैं। कई क्षेत्रों में राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशी निर्दलियों को मिल रहे समर्थन से अपनी जीत का गुणा-भाग कर रहे हैं। फिलहाल दोनों दल निर्दलीय प्रत्याशियों की बढ़त से दूसरे दल को ज्यादा नुकसान होने का दावा कर रहे हैं और इसके लिए तमाम तर्क भी प्रस्तुत कर रहे हैं।

प्रत्याशियों को एक-एक वोट के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। अपने रिश्तेदारों से संपर्क करने के लिए कोई सीधे दरवाजे पर दस्तक देने लगा है तो कोई फोन के जरिये सहयोग की अपील कर रहा है। यहां तक कि सोशल मीडिया के जरिये भी अपनों तक पहुंचने की पूरी कोशिश हो रही है। प्रत्याशियों के इस तरह के प्रचार से लोगों तरह-तरह की चर्चा होने लगी है।

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