राजकीय नजूल भूमि खुर्द-बुर्द करने में लगे भू-माफिया , सिस्टम ने साधा मौन!

हरिद्वार

फर्जी तरीके से किए जा रहे हैं बैनामे, निवर्तमान पार्षद और पार्षद पार्टनर ने की चिकित्सक पुत्र व पुत्रवधु से नजूल भूमि की खरीद फरोख्त,
नजूल भूमि बचाने में जुटे वादी को मामला वापिस लेने के लिए भू-माफिया के गुर्गों ने बनाया दबाव घर में घुसकर दी धमकी

हरिद्वार। कनखल रामकृष्ण मार्ग स्थित बेशकिमती राजकीय नजूल भूमि को भू-माफिया खुर्द-बुर्द करने में लगे हैं। एक तरफ जहां धामी सरकार सरकारी संपत्तियों पर कब्जा करने वाले भू-माफियाओं के खिलाफ एक्शन मूड में वहीं दूसरी तरफ जानकारी होने के बावजूद भी सिस्टम ने मामले में मौन साधा हुआ हैं और भू-माफिया में दूर-दूर तक कार्रवाही का कोई खौफ नजर नहीं आ रहा हैं।
बताते चलें कि कनखल रामकृष्ण अस्पताल मार्ग स्थित नजूल भूमि के बैनामे फर्जी तरीके से किए जा रहे हैं। जिसमें निवर्तमान पार्षद और उसके पार्टनरों ने चिकित्सक पुत्र व पुत्रवधु से बीते वर्ष अलग-अलग नाम से 4 रजिस्ट्रियां कराई हैं।

निवर्तमान पार्षद उर्फ भूमाफिया सत्तारूढ़ दल से जुड़ा हैं और भू-माफिया ने नजूल भूमि सहित सार्वजनिक पार्क व जोहड़ की भूमियों को खुर्द-बुर्द करने के उद्देश्य से कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़ सत्तारूढ़ दल का दामन थामा था। जिसके बाद से सफेदपोश भूमाफिया अपनी करतूतों की वजह से पार्टी की भी खासी फजीहत कराने पर तुला हुआ हैं।

सूत्र बताते हैं कि कनखल रामकृष्ण मार्ग स्थित नजूल भूमि पर सत्तारूढ़ दल से जुड़े पार्षद ने बेशकिमती नजूल भूमि पर ई-रिक्शा चार्जिंग प्वाईंट खुलवा दिया हैं। जिसके बाद से सफेदपोश भूमाफिया और उसके साझेदारों ने नजूल भूमि पर आवासीय इकाईयों का निर्माण किए जाने के लिए एचआरडीए में मानचित्र स्वीकृति के लिए दबाव बनाए हुए था। जिसके लिए हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण के तहसीलदार ने राजस्व विभाग से भूमि संबंधी जांच आख्या मांगी थी। जांच में नजूल भूमि का प्रकरण सामने आ गया। जिसमें सफेदपोश भूमाफिया की कलई खुल गई और जिस वजह से अधिकारियों पर अपने पक्ष में रिपोर्ट देने का सफेदपोश भूमाफिया का रसूख चल न पाया । नजूल भूमि का मामला न्यायालय हरिद्वार में विचाराधीन होने की जानकारी के पश्चात एचआरडीए अधिकारियों ने भी मामले से न सिर्फ अपने हाथ पीछे खींच लिए बल्कि,सफेदपोश भूमाफिया आवासीय इकाईयों का नक्शा भी निरस्त कर दिया था।

गौरतलब हैं कि विगत वर्षो पूर्व विभागीय उदासीनता व मिलीभगत की वजह से सफेदपोश भूमाफियाओं ने कूटरचना कर इस नजूल भूमि को खुर्द-बुर्द करने का कार्य किया था। इसी संबंध में 1986 में एक वाद न्यायालय मुंसफी हरिद्वार में भी चला तथा 1992 में नगर पालिका के पक्ष में यह वाद खारिज हो गया। जिसके बाद भी तत्कालीन नगर पालिका अधिकारियों ने इस भूमि की सुध नहीं ली और इसी पालिका अधिकारियों की उदासीनता के चलते भूमाफियाओं ने जमीन की खरीद-फरोख्त कर नजूल भूमि पर कालोनी काट दी। अधिकांश भूमि पर कूटरचित अभिलेखों के आधार पर भूमि की खरीद-फरोख्त की गई। जिसमें कुछ बहुमंजिला अपार्टमैंट व आवासीय भवन निर्मित हैं। शेष हिस्से को सफेदपोश भूमाफिया कब्जाने के लिए लम्बे समय से प्रयासरत हैं। पूर्व में भी तत्कालीन पटवारी द्वारा दी गई रिपोर्ट में क्षेत्रीय पटवारी और भूमाफिया की सांठ-गांठ से खेल करने का भरपूर प्रयास किया गया था। लेकिन मामला मीडिया में और जागरूक लोगों के सक्रिय होने के बाद सफेदपोश भूमाफिया का प्रयास असफल हो गया था ।

निवर्तमान पार्षद एवं सफेदपोश भूमाफिया पूर्व कैबिनेट मंत्री का खासमखास करीबी व प्रापर्टी के कारोबार में पार्टनर बताया जाता हैं। इसी शह के चलते निवर्तमान पार्षद और उसके पार्टनरों के हौंसले बुलन्दी पर हैं।

बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के शासनकाल से कनखल स्थित इस नजूल भूमि का प्रबंधन तत्कालीन नगर पालिका हरिद्वार के अंतर्गत चला हैं और वर्तमान में 2015 के शासनादेश के बाद से नजूल भूमि संबंधी देख.रेख की जिम्मेदारी हरिद्वार.रूड़की विकास प्राधिकरण पर हैं।भूमाफियाओं के चंगुुल से सरकारी भूमि बचाने व नजूल भूमि पर आवासीय इकाईयों के निर्माण की मंशा को नाकाम करने के लिए आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा मामले में 2017 में न्यायालय हरिद्वार में वाद दायर किया गया था। जो कि फिलहाल, न्यायालय, हरिद्वार में विचाराधीन हैं।
जमीनों की बढ़ती किमतों को देखते हुए सफेदपोश भू-माफिया का लालच और पूर्व मंत्री की शह पर हौंसला इतना बढ़ गया हैं कि वाद वापिस लेने के लिए भू-माफिया के गुगों ने वादी को झूठे केसों में फंसाने का दबाव व धमकाना शुरू कर दिया हैं। इतना ही नहीं घर में घुसकर धमकी दिए जाने की बात भी सामने आई हैं। सीसीटीवी कैमरे में धमकी देने वाला व्यक्ति साफ -साफ घर में घुसता दिखाई दे रहा हैं। जिसके पश्चात वादी ने मामले की शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों से की हैं।

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