
दैनिक श्रमिक को प्रतिबंधित प्रजाति वन्य जीव के मांस साथ पकड़ा
1-पहले बीट में कार्यरत वन आरक्षी का नाम की थी चर्चा , बाद में दैनिक श्रमिक का आया नाम,
2-वन आरक्षी के परिजन भी मौके पर थे मौजूद और अधिकारियों से छोड़ने की लगा रहे थे गुहार ,
3-दैनिक श्रमिक ही था आरोपी तो वन आरक्षी के परिवारजन मौके पर क्यों थे एकत्रित, मामले में लीपापोती की आशंका ,
4-जब मामला इतना गंभीर था तो अधिकारी कुछ भी बताने से क्यों बच रहे थे और मीडिया से क्या छिपा रहे थे ?
हरिद्वार। हरिद्वार वन विभाग की खानपुर रेंज में तैनात दैनिक श्रमिक से चीतल के शावक का मांस मिला है। वन विभाग की टीम ने आरोपी को पकड़कर जेल भेज दिया है। उसकी निशानदेही पर वन क्षेत्र में गश्त कर टीम ने मौके से शावक के अंग भी बरामद किए गए हैं।
हरिद्वार वन प्रभाग के डीएफओ वैभव कुमार सिंह ने एक वीडियों के जारी कर बताया कि शाहमंसूर बीट में निर्मित कुड़कावाला परिसर में वन्यजीव की प्रतिबंधित प्रजाति के मांस को लाए जाने की सूचना मिली। सूचना मिलने पर तत्काल खानपुर रेंज की टीम की ओर से मौके पर दबिश दी गई।
दबिश के दौरान हुकुम सिंह निवासी ग्राम झींवरहेड़ी दैनिक श्रमिक के पास वन्यजीव का मांस बरामद हुआ। पूछताछ करने पर हुकुम सिंह ने बताया कि उन्हें 25 मार्च को खानपुर रेंज की शाहमंसूर बीट के वन क्षेत्र में एक मरा हुआ चीतल का शावक मिला था।
टीम में प्रशिक्षु अधिकारी रजत सुमन (प्रभारी , वन क्षेत्राधिकारी खानपुर रेंज ) , वन क्षेत्राधिकारी मोहन सिंह रावत , वन दरोगा हरीश वालिया, वन रक्षक दुष्यंत आदि शामिल रहे।
पहले किसी वन आरक्षी के नाम की चर्चा, बाद में दैनिक श्रमिक का आया नाम, मौके पर पहुंचे थे वन आरक्षी के परिजन
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सूत्रों कि मानें तो पहले बीट में कार्यरत एक वन आरक्षी का नाम चर्चाओं में था। खानपुर रेंज से वन नगर बैरागी कैंप में लाकर पूरे मामले में जांच पड़ताल की गई । खानपुर रेंज से बैरागी कैंप कनखल में वन नगर लाए जाने और एकांत स्थल पर जांच पड़ताल किया जाना विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर रहा था। जहां मौके पर मौजूद एक अधिकारी ने भी उस वन आरक्षी का नाम अपनी दबी जुबां से लिया था। इस दौरान वन आरक्षी के परिजन भी मौके पर मौजूद थे और अधिकारियों से वन आरक्षी को छोड़ने की गुहार लगा रहे थे । अब सवाल उठता हैं कि दैनिक श्रमिक ही यदि आरोपी था तो वन आरक्षी के परिवारजन और खानपुर के ग्रामीण मौके पर अधिकारियों के साथ वन नगर में क्या कर रहे थे ? और क्या एक दैनिक श्रमिक ही इस पूरे मामले में दोषी हैं या दैनिक श्रमिक को आगे करके औरों को बचाने का कार्य किया जा रहा हैं? यह तमाम सवाल इसलिए भी उठ रहे कि खानपुर रेंज से बैरागी कैंप एकांत में मामले की जांच पड़ताल किया जाना अपनेआप में संदेहास्पद हैं।
सूत्रों कि मानें तो तो जिस तरीके से नटकीय से ढंग से इस मामले में खुलासा किया गया हैं उसमें लीपापोती की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता हैं। हलांकि आरोपी को न्यायालय के समक्ष पेश कर जेल भेजा जा चुका हैं। लेकिन पूरा मामले में सही तरीके से जांच सही दिशा में हुई तो इतना जरूर हैं कि आगामी दिनों में इस मामले में कई नामों के खुलासे और हो सकते हैं।
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान अधिकारियों ने मीडिया कर्मियों के फोन नही उठाए और फजीहत से बचने के लिए विभागीय अधिकारी भी मौके पर पहुंचे मीडिया कर्मियों से भी बचते नजर आए।