कुंभ मेला भूमि पर कब्जे को लेकर दो पक्ष आमने-सामने, थाने पहुंचा मामला

हरिद्वार

1-एक पक्ष संतों का तो दूसरे पक्ष के साथ खड़ा हुआ पूर्व पार्षद

2-भूमि सिंचाई विभाग के स्वामित्व देखरेख का जिम्मा उत्तराखण्ड सिंचाई विभाग

3-कुंभ मेला लैण्ड पर लगातार हो रहे कब्जे पर प्रशासन मौन

4-40-40 हजार रूपए में बेचे जा रहे प्लाट

5-पूर्व पार्षद की सरकारी भूमि खरीद फरोख्त में भूमिका अहम

हरिद्वार। कनखल स्थित कुंभ मेला आरक्षित यूपी सिंचाई विभाग के स्वामित्व की भूमि पर लगातार हो रहे कब्जों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा हैं। वहीं, मेला भूमि पर कब्जों के मामलों की जानकारी होने के बाद सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड सिंचाई विभाग के अधिकारी व मेला प्रशासन मौन साधे हैं।

ताजा मामले में बैरागी कैम्प बजरी वाला में सरकारी भूमि पर कब्जा करने को लेकर दो पक्षों में विवाद चल रहा हैं। तकरीबन एक बीघा भूमि पर दावा कर रहा एक पक्ष संतों का हैं तो कब्जे को लेकर दावा कर रहे दूसरे पक्ष के साथ पूर्व पार्षद खड़ा हुआ हैं। इतना ही नहीं पूर्व पार्षद ने अपने गुर्गो से रात ही रात में दबंगई दिखाते हुए में विवादित स्थल पर बने भवनों पर सफेदी करवा दी। मामले में संत पक्ष ने कनखल थाने में शिकायत की हैं। बताया जा रहा हैं कि जिसके बाद दोनों पक्षों को थाने बुलाया गया और दोनों पक्षों को शांति बनाए रखने की चेतवानी दी गई हैं। फिलहाल, पुलिस ने विवादित स्थल पर बने भवनों में ताला लगवा दिया गया हैं।

बताते चलें कि बैरागी कैंप स्थित कुंभ मेला भूमि पर उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग का स्वामित्व हैं और देखरेख का जिम्मा उत्तराखण्ड सिंचाई विभाग करता हैं। दो दशकों से इस मेला भूमि पर लगातार अतिक्रमण किया जा रहा हैं। जिस का मुख्य कारण विभागीय व शासन प्रशासन की उदासीनता हैं। जब कभी मामला उठता हैं तो सिंचाई विभाग के अधिकारी सिर्फ अतिक्रमण हटाने का नोटिस जारी कर मामले से इतिश्री कर लेते हैं।

सूत्रों कि मानें तो सरकारी मेला भूमि खरीद-फरोख्त में पूर्व पार्षद की अहम भूमिका हैं। लम्बे समय पूर्व पार्षद सरकारी मेला भूमि को बाहरी लोगों को बेचने में लगा हैं और कब्जा करा रहा हैं। बताया यह भी जा रहा हैं कि पूर्व पार्षद ने 40-40 हजार रूपए जमीन की ऐवज लेकर में बाहरी लोगों का सरकारी भूमि पर कब्जा करा रहा हैं। पूर्व पार्षद व स्थानीय विधायक की शह पर अतिक्रमणकारियों ने बजरी वाला क्षेत्र में भी विभागीय उदासीनता के चलते पक्के निर्माण बना लिए हैं।

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