एसआइटी ने पूर्व डीजीपी के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट ,बीएस सिद्धू की मुश्किलें बढ़ी

देहरादून

देहरादून। उत्तराखण्ड के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पर 2012 में ओल्ड मसूरी रोड वीरगिरवाली स्थित आरक्षित वन क्षेत्र की करीब नौ बीघा जमीन को अपने नाम कराने के आरोप लगे थे। बताया जाता है कि ओल्ड मसूरी रोड वीरगिरवाली स्थित आरक्षित वन क्षेत्र की करीब नौ बीघा जमीन दो दशक पूर्व किसी नत्थूराम व्यक्ति के नाम पर दर्ज थी। उसकी मौत के बाद भूमि को आरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। फर्जी नत्थूराम के आधार पर सिद्धू ने जमीन अपने नाम करा ली और इस भूमि पर खड़े हरे-भरे साल प्रजाति के पेड़ भी कटवा दिए। 2012 में हुई शिकायत के बाद अब एसआईटी ने मामले में न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी हैं। जिसके चलते पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के खिलाफ वर्ष 2012 में दर्ज मुकदमे की जांच जब तत्कालीन सीओ मसूरी को सौंपी गई तो वर्ष 2013 में उन्होंने जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया था कि डीजीपी सिद्धू ने जिस व्यक्ति से जमीन खरीदी थी वह फर्जी नत्थू राम है। असली नत्थू राम की मौत हो चुकी है।

डीजीपी को भेजी रिपोर्ट में सीओ ने राजस्व विभाग से मुकदमा दर्ज करवाने और सीबीआइ से जांच करवाने की सिफारिश की थी। इसके बाद यह रिपोर्ट मुख्य सचिव सहित कई अधिकारियों तक पहुंची, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आश्चर्य करने वाली बात है कि पूर्व डीजीपी सिद्धू के प्रभाव के चलते यह जांच रिपोर्ट एफआइआर में भी अटैच नहीं की गई।

इतना ही नहीं वन आरक्षित भूमि से पेड़ों के अवैध कटान के मामले में शिकायत नेशनल ग्रीन ट्रब्यूनल ( एनजीटी ) ने भी अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा है कि डीजीपी ने कार्यकाल के दौरान अपने पद का दुरुपयोग कर पेड़ों का कटान कराया है। इसकी रिपोर्ट उन्होंने तत्कालीन डीजीपी सहित मुख्य सचिव को भेजी थी। बावजूद उसके कोई कार्रवाही नहीं हुई।

यहां सिद्धू के खिलाफ कार्रवाही न होकर उल्टा सिद्धू ने डीएफओ पर मुकदमा दर्ज करवा दिया। यही नहीं तत्कालीन जिलाधिकारी ने भी पूर्व डीजीपी के खिलाफ अपनी रिपोर्ट में स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाने की सिफारिश की थी।

विडंबना रही कि किसी भी अधिकारी ने मामले में गंभीरता नहीं दिखाई, जिसके कारण 12 साल की जांच के बाद अब जाकर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम( एसआइटी) ने पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।
एसआइटी में सीओ अनुज और निरीक्षक गिरीश चंद शर्मा को बतौर सदस्य शामिल किया। एसआइटी जांच में डीजीपी को आरोपित बनाया गया। एसआइटी ने करीब एक साल की जांच के बाद पांच आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। पांच अन्य के खिलाफ जांच जारी है।
ये है पूरा मामला-
1979 बैच के आईपीएस अधिकारी सिद्धू, जिन्होंने 30 सितंबर 2013 से 30 अप्रैल 2016 तक उत्तराखंड के डीजीपी के रूप में कार्य किया। पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू ने वर्ष 2012 में मसूरी वन प्रभाग के वीरगिरवाली गांव में डेढ़ हेक्टेअर जमीन खरीदी और इस जमीन पर लगे साल के कई पेड़ काटवा दिए। सूचना मिलने पर प्रदेश के वन विभाग ने जांच कराई, जिसमें यह सामने आया कि ये पेड़ रिजर्व वन भूमि पर लगे थे। इस मामले में वन विभाग ने सिद्धू का चालान भी किया था। प्रकरण के उछलने के बाद बीएस सिद्धू के नाम हुई जमीन की रजिस्ट्री भी रद्द कर दी गई और सरकार से सिद्धू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की अनुमति मांगी गयी थी। साल 2012 में सिद्धू के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रार्थनापत्र दिए गए। सिद्धू के पुलिस का मुखिया होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई। धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद मामले के निस्तारण के लिए एसआईटी गठित की गई थी।

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