कनखल बैरागी कैंप स्थित कुंभ मेला आरक्षित यूपी सिंचाई विभाग के स्वामित्व की भूमि का 100-100 रूपए के स्टाम्प पर लगातार हो रही बिक्री एवं कब्जों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा हैं। फिलहाल आरक्षित कुंभ मेला लैंड 100-100 रूपए के स्टाम्प पर खुर्द-बुर्द किए जाने के दो ताजे मामले निकलकर सामने आए हैं। बजरी वाला स्थित एक मामले में 2 लाख रूपए लेकर सरकारी मेला भूमि संपत्ति पर कब्जा कराए जाने का मामला कनखल थाने पहुंचा हैं दूसरा बजरी वाला क्षेत्र में मेला भूमि का सौदा 1.50 लाख रूपए बह्मपुरी में रहने वाली महिला से किया हैं। मामला तब सामने आया जब भूमि पर कब्जा किए जाने को लेकर दोनों पक्षों में विवाद हो गया।
वहीं, मेला भूमि पर कब्जों के मामलों की जानकारी होने के बाद भी न तो सरकारी संपत्तियां को खुर्द-बुर्द करने वालों के खिलाफ उत्तराखण्ड सिंचाई विभाग ही कार्रवाही करता दिख रहा हैं न ही भूमि पर स्वामित्व का दावा करने वाला सीएम योगी का उत्तर प्रदेश वाला सिंचाई विभाग , उत्तराखण्ड सिंचाई विभाग के अधिकारियों का तो क्या कहना मेले आदि अवसर पर पार्किंग का ठेके व पेड़ों के निलामी से कमाई करनी हो तो उसे मेला लैंड की याद आ जाती हैं परन्तु जब मामला अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाही का आता हैं तो विभागीय अधिकारियों को सांप सूंघ जाता हैं। उत्तराखण्ड सिंचाई विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पहले से ही सवालों से घिरी हैं। लेकिन इन सबसे इतर मेला प्रशासन और जिला प्रशासन भी मेला लैंड की भूमि खुर्द-बुर्द होता देख पूरे मामले में मौन साधे हैं। उत्तर प्रदेश की सीएम आदित्य नाथ योगी जिन्हें लोग प्यार से बुलडोजर बाबा भी कहते हैं अपनी एक्शन वाली खास कार्यशैली को लेकर देश-विदेश तक जाने जाते हैं तो वहीं उत्तराखण्ड के धाकड़ सीएम पुष्कर सिंह धामी भी सरकारी भूमि पर अतिक्रमण व अतिक्रमणकारियों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाही के लिए देश -प्रदेश में खासी पहचान रखते हैं। बावजूद उसके आरक्षित मेला लैंड रोजाना हो रहे अतिक्रमण पर उनकी नजर नहीं पड़ पाई हैं। सरकारी मेला आरक्षित भूमि पर अतिक्रमण की जानकारी होने के पश्चात भी संबंधित विभागीय अधिकारी कुछ करना नहीं चाहते तो ऐसे में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी उर्फ बुलडोजर बाबा और उत्तराखण्ड के धाकड़ सीएम धामी मेला आरक्षित भूमि को खुर्द-बुर्द होने से कैसे बचाऐंगे? और कब तक मेला आरक्षित सरकारी भूमि पर अतिक्रमण और कब्जे का सिलसिला चलता रहेगा ? उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के सीएम के अंतर्गत यह मामला आता हैं और बैरागी कैंप स्थित मेला आरक्षित भूमि की वर्तमान स्थिति एवं परिस्थिति को देखते हुए यह यक्ष प्रश्न खड़ा हो रहा हैं।
सिंचाई विभाग द्वारा मेला आरक्षित भूमि पर तमाशबीन रहने के चलते पुलिस की सिरदर्दी बढ़ गई हैं। पहले भी इस तरह के विवाद कनखल थाने में पहुंचते रहे हैं। दिन-प्रतिदिन ऐसे मामलों की तदाद बढ़ती जा रही हैं। विभागीय उदासीनता के चलते वह दिन दूर नहीं कि जब मेला आरक्षित भूमि पर चारों ओर सिर्फ और सिर्फ अतिक्रमण और अतिक्रमण नजर आएगा।
स्थानीय लोगों का कहना हैं कि दो दशकों से इस मेला भूमि पर लगातार अतिक्रमण किया जा रहा हैं। जिस का मुख्य कारण विभागीय मिलीभगत व शासन-प्रशासन की उदासीनता हैं। जब कभी मामला उठता हैं तो सिंचाई विभाग के अधिकारी सिर्फ अतिक्रमण हटाने का नोटिस जारी कर मामले से इतिश्री कर लेते हैं।
