न हुआ पूर्ण रूप से सौन्दर्यीकरण , न हो पाई रख-रखाव की सही व्यवस्था
एडीबी से वित्त योजना के तहत अभिलेखों के अनुसार शंकराचार्य चौक से लेकर पुल जटवाड़ा तक तकरीबन 29 करोड़ से नहर पटरी का सौन्दर्यीकरण का कार्य बीते वर्षो में किया गया था। जिसमें सोलर लाइट से लेकर पेड़-पौधें , फैन्सी झूले , व्यायाम की मशीने , रैलिंग व वॉल निर्माण आदि कार्य शामिल थे। पहले तो ठेकेदार द्वारा ही निर्धारित समय में कार्य पूर्ण नहीं किया गया और दूसरा बिना रख-रखाव की व्यवस्था के आज इसी नहर पटरी पर अव्यवस्थाओं का बोल-बाला हैं। सोलर लाइट न जलने के चलते शाम ढलते ही नहर पटरी पर अंधेरा पसर जाता हैं, क्यूंकि सोलर लाइटों से बैटरियां गायब हैं। नहर पटरी की देख-रेख रामभरोसे होने के चलते चोरों ने हाथ साफ कर दिया और बैटरी ले उड़े।
नहर पटरी और उस पर पसरा अंधेरा नशेड़ियों व असमाजिक तत्वों के लिए महफूज जगह बनता जा रहा हैं। इतना ही नहीं सिहंद्वार से आगे की नहर पटरी पर लगी रेलिंग और गंगा किनारे बनी वॉल करोड़ों के काम में हुई बंदरबाट की खुद गवाही दे रही हैं,यहां अनुबन्ध वाले पेड़ पौधों के स्थान पर बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी हुई हैं। धरातल पर कितना काम हुआ, कितना नहीं इसे देखने वाला कोई नहीं हैं।
हर रोज नहर पटरी पर शहरवासियों की चहलकदमी सुबह और शाम रहती हैं। जिसमें आमजन के साथ कई जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं। लेकिन माजरा देखने के बाद भी होंट सिले हैं और यहां शासन-प्रशासन भी मूकदर्शक हैं।