महासचिव ने नगर निगम अधिकारियों पर लगाया लापरवाही का आरोप
धर्मनगरी हरिद्वार में हर साल बरसातों में बरसाती पानी की उचित निकासी ना होने के कारण भारी जानमाल की हानि देखने को मिलती हैं। नगर निगम क्षेत्रांतर्गत उत्तराखंड गठन के पहले से हरिद्वार का सबसे पुराना औद्योगिक क्षेत्र मौजूद है। जहाँ खासी संख्या में औद्योगिक इकाईयां मौजूद है और जिनमे हजारों कर्मचारी कार्य कर अपना जीवन यापन कर रहे है। इस क्षेत्र में इंडस्ट्रियल एसोसिएशन का एक पार्क भी बना हुआ है। जिसके बराबर से एक बरसाती नाला बहता है और हर साल भारी बारिश के चलते नाले में पानी के ओवर फ्लो के कारण फैक्ट्रियो व लोगों के घरों में पानी भर जाता है । इस साल भी समय पूर्व नाले की सफाई न होने के कारण पहली बारिश में ही दीवार टूट गई। जिससे कई लोगो को भारी नुकसान झेलना पड़ा।
औद्योगिक क्षेत्र की उपेक्षा को लेकर हरिद्वार इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के पदाधिकारी खासा आक्रोशित हैं। हरिद्वार इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट एसोसिएशन के महासचिव विनीत धीमान का कहना है कि कई बार इस बाबत नगर निगम को सूचना दी जाती है, लेकिन किसी अधिकारी द्वारा सुनवाई नहीं की जाती हैं। जबकि हर साल नगर निगम को करोड़ों रुपये का टैक्स चुकाते है। उन्होंने निगम अधिकारियों पर इंडस्ट्रियल एरिया क्षेत्र की अनदेखी करने का आरोप लगाया हैं।
विनीत धीमान ने कहा कि इस बार भी सही समय पर नाले की सफाई ना होने से पहली मानसून की पहली बारिश के दिन ही सुरक्षा दीवार ढह गई हैं। जिसके कारण लक्ष्मी इंजीनियरिंग व स्कॉप इंजीनियरिंग और स्थानीय लोगो के घरों में पानी भर गया। जिससे भारी नुकसान झेलना पड़ा। एसोसिएशन ने नगर निगम अधिकारियों द्वारा मामले को गंभीरता से न लिए जाने की स्थिति पर निगम अधिकारियों के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी हैं ।
इस दौरान एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रभात कुमार,सुरेश फुलवानी, जयकरन पटेल, मनोरंजन सुबृद्धि, दीपक गुप्ता, सुखदेव सिंह, मग सिंह, मुकुल धीमान,गुरदीप शर्मा,आशीष मित्तल,सागर मनचंदा,विशाल माथुर,आदि कई उधोगपति मौजूद रहे।
वहीं, नगर आयुक्त दयानंद सरस्वती ने बताया कि उनके द्वारा पार्क की दीवार बनाने के लिए विभाग को कह दिया गया हैं। नालों की की सफाई का कार्य जारी हैं। अधिकांश नाले -नालियों की साफ-सफाई निगम की टीम द्वारा कर दी गई हैं। जो शेष बचे हैं उनकी भी जल्द सफाई हो जाएगी। नालों पर अतिक्रमण हैं और नाले नगर निगम सहित अन्य विभागों के अंतगर्त भी आते हैं। उन विभागों को भी नालों की नियमित साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए। सिर्फ दोषारोपण नगर निगम पर नहीं होना चाहिए।