1-अनुमति 1 सूखा और 1 हरा काटने की, काट दिए दो हरे पेड़
2-नगर निगम अधिकारियों का कमाल: भूमि स्वामित्व सिंचाई विभाग का और अनुमति दे रहा नगर निगम
अनिल बिष्ट/ हरिद्वार। एक तरफ जहां सरकार भ्रष्टाचार मिटाने के बड़े-बड़े दावे कर रही हैं वहीं अधिकारी सरकार के इन्हीं दावों की खुलेआम भ्रष्टाचार कर धज्जियां उड़ाने में लगी हैं।
ताजा मामला बैरागी कुंभ मेला आरक्षित भूमि से जुड़ा हैं। जहां पूर्व भाजपा पार्षद ने अपने हित के चलते नगर निगम अधिकारियों से सांठ-गांठ कर हरे पेड़ों को कटवा दिया हैं। इतना ही नहीं हरे पेड़ों पर नगर निगम अधिकारियों ने बिना यह जाने कि जिस स्थल से पेड़ काटा जा रहा भूमि उनके स्वामित्व की हैं या नहीं, पेड़ों की नीलामी कर दी और ठेकेदार से आरियां चलवा दी हैं। जबकि सिंचाई विभाग मेला भूमि पर खड़े फलदार वृक्षों का हर बार ठेका छोड़ता आया हैं परन्तु सिंचाई विभाग की मेला लैण्ड से हरे पेड़ काटे जाने की जानकारी होने के बाद भी मामले में उदासीन बना हुआ हैं।
वहीं, जाग्रति मंच के सदस्यों ने हरे पेड़ काटे जाने का मौेके पर विरोध जताते हुए मामले में संबंधित विभागीय अधिकारियों से शिकायत की हैं।
बताया जा रहा हैं कि सारा मामला पूर्व पार्षद के इशारे पर किया गया हैं। भाजपा का पूर्व पार्षद इस जगह सड़क बनवाना चाहता हैं क्योंकि इसी मार्ग पर सिंचाई विभाग की मेला आरक्षित भूमि पर अतिक्रमण कर डिपों बना हैं और डिपों में मालवाहक वाहनों का आगमन लगा रहता हैं। मार्ग के किनारे लगे हरे पेड़ पूर्व पार्षद की निगाह में खटक रहे थे। आज अपनी योजना में पार्षद कामयाब होता दिखा और नगर निगम अधिकारियों से मिलीभगत कर कुंभ मेले के लिए आरक्षित भूमि पर खड़े विशालकाय सेमल के हरे पेड़ों पर आरियां चलवा दी। कहावत हैं कि रस्सी तो जल गई मगर ऐंठन नहीं गई। पार्षदी खत्म हो चुकी हैं परन्तु पूर्व पार्षद के सिर से पार्षदी की खुमारी उतरने का नाम ही नहीं ले रही हैं। पार्षद के बारे में यह भी चर्चा हैं कि क्षेत्र में चल रहे अवैध धंधों में संलिप्तता रहती हैं।
मौके पर ठेकेदार के व्यक्तियों ने वीडियों में स्वयं स्वीकारा हैं कि उनके पास 1 सूखे और एक हरे पेड़ की अनुमति थी जबकि मौके से उन्होंने दोनो हरे पेड़ काटे हैं। ठेकेदार ने जो पेड़ों के पातन की अनुमति दिखाई हैं वह सहायक नगर आयुक्त नगर निगम हरिद्वार श्याम सुन्दर प्रसाद द्वारा दी गई हैं। लेकिन, जब सहायक नगर आयुक्त नगर निगम,हरिद्वार श्याम सुन्दर प्रसाद से इस संबंध में सवाल जबाव किए तो एक तरफ उनका कहना था कि उन्होंने लापिंग के लिए अनुमति दी थी पातन की नहीं । और जब उनसे पूछा गया कि संपत्ति स्वामित्व किसका हैं तो गोलमोल जबाव देने लगे। यहां सवाल इस बात का हैं कि आम देखिए उत्तराखण्ड के सरकारी विभागों का जहां किसी अभिलेख पर हस्ताक्षर करने से पूर्व अधिकारी उसे बिना पढ़े ही अपने हस्ताक्षर कर दे रहा हैं।
दूसरी तरफ संपत्ति विभाग में लिपिक पद पर कार्यरत वेदपाल इस मामले में विभागीय गलती भी स्वीकार रहे हैं उनका कहना कि साहब को जानकारी नहीं होगी इसलिए ऐसा कह रहे हैं। नगर निगम ने बैरागी कैंप से 1 सूखा और 1 हरे पेड़ पातन की अनुमति दी हैं।
उधर जाग्रति मंच के सदस्य हिमांशु राजपूत व विवेक कौशिक का कहना हैं कि विभागीय अधिकारी अगर मामले में कार्रवाही नहीं करते हैं तो मामले में संबंधित विभागों को सार्वजनिक स्थान व मेला आरक्षित भूमि से नियम विरूद्ध हरे पेड़ काटे जाने के खिलाफ वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाऐंगे।
ऐसे अधिकारियों को जो बंदरबाट में लिप्त हैं और आए दिन अपनी कारगुजारियों से सरकार की साख को बट्टा लगा रहे हैं धामी सरकार को उनके खिलाफ सख्त एक्शन लेने की आवश्यकता हैं ताकि प्रदेश की जनता में सरकार के भ्रष्टाचार का दावा और सरकार की छवि दोनों बरकरार रहे।
अब देखना होगा कि संबंधित विभागीय अधिकारी इस पूरे मामले में क्या एक्शन लेते हैं। क्या आगामी दिनों में कोई कार्रवाही दोषियों के खिलाफ हो पाएगी या मामला ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाएगा।