कनखल हरिद्वार बैरागी कैम्प स्थित मेला आरक्षित भूमि
हरिद्वार। भाजपा की प्रदेश सरकार एक तरफ जहां सरकारी भूमियों से अतिक्रमण हटाने का अभियान का हो -हल्ला कर अपनी पीठ अपने आप ही थपथपा रहीं हैं, वहीं दूसरी तरफ मेला आरक्षित सरकारी जमीन की बिक्री बदस्तूर जारी है। सरकारी भूमि का सौदा करने में भाजपा के एक स्थानीय पार्षद भी शामिल हैं। जिसके पश्चात् प्रदेश में भाजपा सरकार की सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने की कार्यशैली पर विपक्ष ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। भू-माफिया व सरकारी बाबूओं के सेटिंग गेटिंग से सार्वजनिक सरकारी संपत्तियों की खरीद-फरोख्त पर रोक नहीं लग पा रही है।
ताजा मामला बैरागी कैम्प स्थित मेला आरक्षित भूमि कनखल हरिद्वार का हैं। जिसका खुलासा सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी में हुआ हैं। जहां एक बीजेपी पार्षद ने 500 वर्ग फीट का प्लाट गजियाबाद निवासी व्यक्ति को मात्र 3 लाख 75 हजार रूपए में बेच दिया हैं। इतना ही नहीं यहां संत भी सरकारी जमीन की खरीद-फरोख्त में पीछे नहीं हैं। लगे हाथ संत भी गंगा में हाथ धोने में लगे हैं। अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष के शिष्य ने तकरीबन 1 बीघा 15 बिस्वा सरकारी भूखण्ड हरियाणा की संस्था को मात्र पच्चीस लाख रूपए में विक्रय कर दिया गया।
पूर्व अधिकारियों ने इस जमीन पर खरीद बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया था। जिला प्रशासन के आदेश के अनुसार उस दौरान सरकारी बोर्ड भी लगाए थे। मगर स्टाम्प पर सरकारी भूमि विक्रय किए जाने का सिलसिला आज भी जारी हैं। भू- माफियाओं के हौसले इतने बुलंद है कि सरकार के आदेशों का धज्जियां उड़ाते हुए जमीन की खरीद और बिक्री सरकार के आदेशों का ठेंगा दिखाते हुए सौ रूपए के स्टाम्प पर धड़ल्ले से की जा रही है । बताते चलें कि कनखल में बिना बंदोबस्त की सिंचाई विभाग की कई हेक्टेएअर भूमि हैं जोकि कुंभ मेला के लिए आरक्षित हैं। लेकिन राजनितिक पार्टियों का हस्तक्षेप और सिस्टम की लापरवाही आज सरकारी सम्पत्तियों पर भारी पड़ रही हैं। लम्बे समय से सफेदपोश , भू-माफिया और संत विभागीय मिलीभगत के चलते सरकारी जमीन की खरीद-फरोख्त का खेल करने में लगे हुए हैं। सरकारी महकमा के साठगांठ करके जमीन पर मकान व चारदीवारी का निर्माण किया जा रहा है किन्तु सिंचाई विभाग उत्तराखण्ड , सिंचाई विभाग यूपी , मेला प्रशासन , एचआरडीए जिला प्रशासन सब मौन हैं । अगर देखा जाए तो संबंधित विभागीय अधिकारी इस पूरे मामले में पूर्ण रूप से सहभागिता से पर्दा डालते रहे हैं। दो दशक पूर्व जहां कभी चंद मकान हुआ करते थे , वर्तमान में उस स्थल पर सैकड़ों बड़े और छोटे भवनों का निर्माण इन्हीं विभागों की लापरवाही बरतने के चलते बन चुके हैं। स्थानीय लोगों के द्वारा मुख्यमंत्री सहित सिंचाई मंत्री व अधिकारियों को कई बार लिखित शिकायत करने के बावजूद भी करवाई के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है। जिससे भू-माफियाओं का मनोबल काफी बढ़ गया है।
स्थानीय निवासी धर्मवीर सैनी का कहना हैं कि बैरागी कैम्प हो या अन्य क्षेत्र सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा की बाढ़ आ गई है। कब्जा के बाद लगातार मकानों के अवैध रूप से निर्माण हो रहे है। खास बात यह है कि इसकी शिकायत भी जिला प्रशासन के अधिकारियों से की जाती है, लेकिन विभागीय अधिकारी कार्रवाई नहीं करते। हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर मेला आरक्षित भूमि से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए हैं पर अधिकारी और नेता अतिक्रमणकारियों को बचाने में लगे हैं। यही कारण है कि भू-माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।
उधर एसडीओ कैनाल शिवकुमार कौशिक का कहना हैं कि मामला संज्ञान में आया हैं । जांचकर सरकारी भूमि की खरीद-फरोख्त करने वालों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी।