हरिद्वार। बीते दिनों से अंडरवर्ल्ड डॉन को संत बनाए जाने की खबर अखबारों की सुर्खिया बनी हुई हैं। जिस तरह की खबरें हैं उससे तो यही लगता हैं कि अब आने वाला समय में अंडरवर्ल्ड डॉन संत बनेंगे और संत इन अपराधियों की चाकरी करते नजर आऐंगे। यह सब हुआ तो अखाड़ों और संतों की जगहंसाई भी निश्चित हैं। इससे बड़ी बानगी इसके आलावा कहीं देखने को नहीं मिल सकती। भले ही अखाड़ा महंत जांच की बात कर रहे हो, लेकिन सवाल यहां यह उठता हैं कि अब क्या अखाड़ों की बागडोर अपराधिक किस्म के लोगों के हाथों में होगी, जिनके हाथ खुद अपराध से सने हुए हैं ? आखिर अंडरवर्ल्ड डॉन को संत बनाकर अखाड़ा में शामिल करने की आवश्यकता ही अखाड़ा संतों को क्यूं पड़ी? क्या अधर्मी अब धर्म की रक्षा करेंगे? अखाड़े में सन्यासी बनाए जाने के नियम , कानून हैं लेकिन यहां अखाड़ा संत अंडर वर्ल्ड डॉन को अखाड़े का संत बनाकर उन परंपराओं का भी जमकर उपहास उड़वाने पर तुला हैं।
अंडरवर्ल्ड डान को अल्मोड़ा जेल में गुरु दीक्षा देने और अखाड़ा का महंत बनाने की बात सामने आई है। साथ ही उसे कई मंदिरों का मुख्य महंत भी बनाने का दावा किया जा रहा है। इन दिनों अंडरवर्ल्ड डॉन जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। इस मामले के बात से अखाड़ा और अखाड़ा संतों की जमकर किरकिरी हो रही हैं।
पहले भी मुम्बई की एक विवाहित महिला को महामंडलेश्वर बनाने के मामले में अखाड़ा अपनी किरकिरी करा चुका हैं। जिसके बाद अखाड़े ने उसको मुंबई की महिला को महामण्डलेश्वर पद से निष्कासित कर दिया था। तब आरोप लगा था कि मोटी रकम देकर महिला को महामण्डलेश्वर बनाया गया हैं लेकिन रकम लेन-देन के आरोपों की पुष्टि नहीं हो पाई थी।
अंडरवर्ल्ड डॉन को संत बनाने के बाद भी मोटी रकम का चढ़ावा चढ़ाए जाने के आरोप लग रहे हैं। अब देखना हैं कि अखाड़ा जांच के बाद अखाड़े की मार्यादाओं और नियमों का निर्वाहन करते हुए अंडरवर्ल्ड डॉन को बाहर का रास्ता दिखाता हैं या अपना संरक्षण देकर अखाड़े में अपराधियों की घुसपैठ कराता हैं।