ट्रस्ट की धार्मिक संपत्ति पर कंकरीट की अट्टालिकाओं का अनाधिकृत निर्माण, संत ने बिना जिला जज की अनुमति लिए ही बिल्डर को कर दिया एग्रीमैंट , पीडब्ल्यूडी ने बिल्डर को लाभ देने के लिए बना दी पुलिया

हरिद्वार

हरिद्वार। कनखल कृष्णा नगर सिहंद्वार के मध्य ट्रस्ट की संपत्ति पर वृहद रूप से अट्टालिकाओं का अनाधिकृत निर्माण कार्य प्रगति हैं। सूत्रों के अनुसार जिस स्थल पर बिल्डर आश्रम के मानचित्र पर ग्रुप हाउसिंग का अनाधिकृत निर्माण कर रहा हैं वह ट्रस्ट की संपत्ति हैं। जिसे आश्रम की स्थापना करने वाले संत ने श्री पंचायती उदासीन अखाड़ा के संतों से 1963 में खरीद की थी। बताया जा रहा हैं कि बिना जिला जज की अनुमति के वर्तमान संचालक संत इस ट्रस्ट की संपत्ति को बिल्डर के साथ मिलकर खुर्द-बुर्द करने के प्रयास में लगा हैं और नियम विरूद्ध एक रजिस्ट्रर्ड एग्रीमैंट बिल्डर के पक्ष में कर दिया है।

बताते हैं कि पूर्व में गुरू और चेले पर संपत्ति खुर्द-बुर्द करने मामले में ट्रस्टियों ने आपत्ति जताई थी और मामले में वाद भी योजित किया था। जिसका वाद-विवाद इलाहाबाद हाईकोर्ट व हरिद्वार न्यायालय में चल चुका हैं। उस दौरान हरिद्वार और जिला सहारनपुर यूपी हुआ करता था।

सूत्र यह भी बताते हैं कि वर्तमान में संपत्ति पर बन रहे अनाधिकृत फ्लैटों की कीमत भी ग्राहकों से गगनचुम्बी इमारत की तरह ही वसूली जा रही हैं। तकरीबन 1 फ्लैट की कीमत 1 करोड के आस-पास़ बताई जा रही हैं। बताया जा रहा हैं कि इस भव्य प्रोजेक्ट में सफेदपोश और पुरोहितों का पैसा लगा हुआ हैं। यही नहीं बिल्डर द्वारा एवं उसके पुत्र ग्राहकों को फ्लैटों की रजिस्ट्री का यशगान कर झांसा देने से बाज नहीं आ रहे हैं। जबकि कानूनी सलाहकार एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विजय शर्मा का कहना हैं कि धर्मार्थ ट्रस्ट से जुड़ी संपत्ति बिना जिला जज अनुमति लिए क्रय-विक्रय नहीं की जा सकती हैं। फिलहाल मामले में जिला न्यायालय में वाद योजित हैं। वही,ं बिल्डर दबाव व प्रभाव के चलते प्राधिकरण से आवासीय इकाईयों का मानचित्र ओटीएस में स्वीकृत कराने के प्रयास में लगा हैं।

राज्य योजना निधि से बिल्डर को लाभ देने के लिए बना दी पुलिया
लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की कारगुजारी का नमूना देखिए कि किस तरीके से कृष्णा नगर की पुलिया और भैरव मंदिर के सामने मार्ग चौड़ीकरण के लिए राज्य योजना के तहत जारी की गई लाखों की धनराशि को अपने मनमाने ढंग से रजवाहे पर पुलिया बना कर व्यय कर दिया गया। जिस स्थान पर यह पुलिया बनी हैं उस पुलिया के सामने ही एक आश्रम की धार्मिक संपत्ति पर अनाधिकृत तरीके से कंकरीट की अट्टालिकाएं खड़ी की जा रही हैं।
सूत्रों का कहना हैं कि पूर्व मंत्री का इस प्रोजेक्ट में निवर्तमान पार्षद के साथ साझेदारी में कार्य चल रहा हैं और पुलिया निर्माण भी लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने पूर्व मंत्री के इशारे पर किया हैं। क्योंकि इस प्रोजेक्ट के आड़े रास्ते की समस्या आ रही थी। जोकि बाद में पूर्व मंत्री ने पूर्व सरकार में मंत्री रहते पुलिया का निर्माण करा हल करा दिया। इस पुलिया निर्माण की एवज में पूर्व मंत्री को प्रोजेक्ट में बतौर साझेदार बनाया गया हैं।

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