देहरादून । जहां एक ओर पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार उत्तराखंड में सख्त कानून लागू करने के साथ विकास के कीर्तिमान स्थापित कर रहीं वहीं सरकारी सिस्टम धामी सरकार में नियम, कायदे, कानून को दर किनार कर अपनी मन मर्जी पर आमादा है। मूल विभाग ने एमडीडीए में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत सहायक अभियंता की एनओसी निरस्त होने के बाद आवास विभाग अधिकारी को कार्यमुक्त करने में सुस्त नजर आ रहा हैं।
ताजा मामला 2021 में उत्तराखण्ड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण में सहायक अभियंता के पद पर सिंचाई विभाग श्रीनगर से प्रतिनियुक्ति के माध्यम से तैनात किए गए शंशाक सक्सेना का हैं जोकि आजकल राजधानी में खासा सुर्खियां में हैं।
मामला चर्चाओं में इसलिए भी हैं कि एमडीडीए में प्रतिनियुक्ति पर तैनात सहायक अभियंत शशांक सक्सेना की अनापत्ति निरस्त करते हुए सिंचाई अनुभाग -1 के सचिव हरिशचन्द्र सेमवाल ने दिनांक-24 जनवरी 2024 को उत्तराखण्ड आवास विभाग को सिंचाई विभाग के अंतर्गत कार्मिकों की अवश्यकता के दृष्टिगत शशांक सक्सेना सहायक अभियंता की प्रतिनियुक्ति अवधि को तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुए सक्सेना को कार्यमुक्त कर मूल विभाग में योगदान करने को निर्देशित किया था। इन निर्देशों के क्रम में पालन न होने के तत्पश्चात दिनांक-02.02.2024 को सिंचाई अनुभाग -1 के सचिव हरिशचन्द्र सेमवाल ने शशांक सक्सेना सहायक अभियंता की प्रतिनियुक्ति अवधि को तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुए सक्सेना को कार्यमुक्त कर मूल विभाग में योगदान करने के लिए निर्देशित करते हुए दूसरा पत्र लिखा था।
इतना ही नहीं सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता ने 26 फरवरी 2024 को दिनांक-24 जनवरी 2024 व दिनांक–02.02.2024 सचिव सिंचाई अनुभाग -1 के निर्देशों के अनुपालन में तत्काल तीन दिवस के अंतर्गत अपने कार्यभार ग्रहण करने के लिए पत्र प्रेषित किया। लेकिन उत्तराखण्ड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण ने इन सब के बावजूद शशांक सक्सेना को मूल विभाग के लिए रिलीव नहीं किया है। जबकि सहायक अभियंता की मूल विभाग में वापसी के लिए सिंचाई शासन स्तर से सभी प्रयास किए जा चुके हैं और सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज भी अनापत्ति निरस्त कर एई की मूल विभाग में वापसी की बात कर रहे हैं। लेकिन उत्तराखण्ड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण ने सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज की बात को भी दरकिनार कर सहायक अभियंता को मूल विभाग के लिए वर्तमान तिथि तक भी कार्यमुक्त नहीं किया हैं।
सूत्र बता रहे हैं कि एई और एई समर्थक लाबी एमडीडीए में खासी सक्रिया हैं शशांक सक्सेना की वहीं (एमडीडीए) तैनाती के लिए सिंचाई विभाग से अनापत्ति कराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। ऐसा कोई मंत्री या नेता इस लॉबि ने नहीं छोड़ा होगा जिसके दर पर इन्होंने सहायक अभियंता की सिंचाई विभाग से एनओसी जारी कराने के लिए माथा न टेका हो । पहले भी सिंचाई विभाग से आवास विभाग में प्रतिनियुक्ति पर आए सहायक अभियंता अपनी पहुंच या चढ़ावे की वजह से मर्ज हो चुके हैं। यह हालात तब हैं जबकि सिंचाई विभाग खुद कर्मिकों के आभाव से जूझ रहा है।
वहीं बेरोजगारो का संघ भी इस विषय को लेकर मुखर है । बेरोजगार संघ का कहना हैं कि प्रतिनियुक्ति से आए अधिकारियों को मर्ज करने की परिपाटी से उन युवाओं का भविष्य अधर में लटक जाऐगा जो चयनित होकर आऐंगे और उनसे संबंधित विभाग में पद ही रिक्त नहीं होगा। इस परिपाटी कहीं न कहीं उन चयनित अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा। बेरोजगार संघ के पदाधिकारियों इस संबंध में अपनी आपत्ति मंत्रियों, नेताओं और संबंधित अधिकारियों के समक्ष की है। किन्तु फिलहाल मामला सहायक अभियंता के पक्ष में हैं और एमडीडीए में ही जमा हुआ हैं। सिंचाई अनुभाग -1 के सचिव द्वारा मूल विभाग में वापसी के निर्देशों के उपरांत भी आवास विभाग ने सहायक अभियंता शशांक सक्सेना को रिलीव करने में कोई रूचि नहीं दिखाई हैं।
अब जो इनपुट मिल रहे हैं वह बता रहे हैं कि प्रदेश के मुखिया का करीबी अधिकारी सहायक अभियंता की मूल वापसी की राह को रोके हुए हैं।
सूत्रों कि मानें तो यही करीबी उच्चअधिकारी सहायक अभियंता की समर्थक लॉबी का संरक्षक बन सिंचाई विभाग से सहायक अभियंता के पक्ष में एनओसी जारी कराने व सेटिंग गेटिंग से आवास विभाग में मर्ज कराने के लिए सहभागिता से तैयारी कर रहा हैं। इसी कारणवश सहायक अभियंता की मूल विभाग में वापसी नहीं हो पा रही हैं।
बताते चलें कि शंशाक सक्सेना का मूल विभाग सिंचाई विभाग है और वह आवास विभाग में प्रतिनियुक्ति पर आए थे। आजकल एमडीडीए देहरादून में सहायक अभियंता के पद पर तैनात हैं। लेकिन सक्सेना का मलाईदार पद से वापसी का मोह छूटने का नाम नहीं ले रहा है। साम, दाम , दण्ड , भेद की नीति के चलते शासन भी एई के आगे नतमस्तक दिख रहा है और चाहकर भी एई को रिलीव नहीं कर पा रहा है। उधर सहायक अभियंता की एनओसी निरस्त करने वाले अधिकारी अवकाश पर चले गए हैं। जिसके पश्चात गेंद अवकाश पर गए अधिकारी के स्थान पर प्रभार संभालने वाले अधिकारी के पाले में डाल दी गई हैं।
बरहाल, अभी मामला सिंचाई विभाग और आवास अनुभाग के बीच उलझ कर रह गया हैं। मामला कब-तक सुलझ पाएगा कहना मुश्किल हैं लेकिन हां यह जरूर हैं कि सहायक अभियंता मलाईदार विभाग को छोड़ मूल विभाग में वापसी के मूड में कतई नहीं हैं।