हरिद्वार। कई सालों से गंगा को अविरल बनाने के लिए अभियान चल रहा है। शहर के अलग-अलग हिस्सों पर कुछ नालों को टैपिंग भी कर दिया गया है। हालांकि बीच-बीच में ओवर फ्लो होने पर बंद नाले भी गिरते रहते हैं। नालों को बंद करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च हो गए हैं। बावजूद अब भी कई नाले ऐसे हैं, जिनमें आए दिन नालों का दूषित पानी सीधे गंगा में गिर रहा है।
ताजा मामला कनखल बैरागी कैम्प स्थित गंगा में गिरता गंदा नाला का हैं। बैरागी कैंप की पूरी बस्ती का नाला पुलिस लाइन से होता हुआ सती घाट के सामने सीधा गंगा के जल को अशुद्ध कर रहा है। जो संस्थाएं कभी गंगा प्रदूषित होने पर आवाज उठाया करती थी, आज उनकी आवाज कहीं दब कर रह गई हैं। यही कारण हैं कि किसी की आस्था की आत्मा को गंगा में गिरती यह नाले की गंदगी दिखाई नहीं दे रही है।
बताते चलें कि धर्मनगरी में जिला गंगा समिति भी अस्तित्व में हैं। परन्तु देखा जाए तो यह समिति भी बैठकों तक ही सीमित हैं।
विगत वर्षाे करोड़ों रूपए खर्च करके स्थानीय विधायक ने अपने कैबिनेट मंत्री कार्यकाल में नमामि गंगे योजना के तहत बिना स्टीमेट और बिना ड्राइंग के नाला भी बनवाया था, लेकिन करोड़ों की धनराशि से निर्मित नाला कुछ ही दिनों में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।
यहां कुंभ 2021 के अवसर पर गंगा घाट भी बनें है। स्नान पर्व आदि पर यहां श्रद्धालु स्नान करते देखें जा सकते हैं। लेकिन सरकारी खजानों से करोड़ों रुपए खर्च करके गंगा स्वच्छता के दावे धरातल पर बैरागी कैंप में गंगा में गिरती गंदगी के आगे फेल साबित हो रहे है।
मोक्षदायिनी, जीवनदायिनी मां गंगा आज लोगों के लिए वोटों और नोटों का मात्र साधन बनकर रह गई है, इसी के चलते लोगों की आस्था भी कहीं न कहीं किसी स्वार्थहित की भारी भरकम शिला के नीचे दब कर रह गई है। राम में आस्था रखने वाले आखिर राम धारा के प्रदूषण पर क्यूं मौन है ? यह सवाल सरकारी मशीनरी और गंगा भक्तों के समक्ष मुंह बाए खड़ा है।