अतिक्रमण पर खामोश प्रशासन
हरिद्वार। धर्मनगरी की सड़कों पर अतिक्रमण के आगे पूरा सिस्टम खामोश बना हुआ है। मुख्य चौराहे हों या फिर अन्य मार्ग। अधिकांश स्थानों पर सामान रखकर कब्जा कर लिया गया है। यह अतिक्रमण जाम का भी बड़ा कारण बनता है। नगर निगम के वेंडिंग जोन भी इससे अछूते नहीं हैं आवंटी खोखाधारकों ने खोखों से इतर सड़कों पर अतिक्रमण किया हुआ हैं। थानों की पुलिस तो यहां कोई कार्रवाई करती दिखती नहीं हैं। कुछ एक क्षेत्रों में ट्रैफिक पुलिस भी कभी कभार अभियान के नाम पर खानापूर्ति ही करती दिखती है। सड़कें अतिक्रमण मुक्त होने के साथ ही स्वच्छ हों तो उस शहर की सूरत अपने आप बदल जाती है। लेकिन इसके लिए न ही सरकारे पहल करती दिख रही हैं और न ही सिस्टम । जगह-जगह सड़कों पर ही अवैध ठेले, फड़ लगा ली गई हैं। अवैध तरीके से ऑटो और ई-रिक्शा भी सड़कों को घेरे रखते हैं, जिससे कई मार्गो पर जाम की समस्या रहती है।
सिंहद्वार से शंकर आश्रम जाने वाले मुख्य मार्ग का भी यही हाल है। सड़क के दोनों तरफ का काफी हिस्सा अतिक्रमण की चपेट में है। तहसील कार्यालय के आस-पास का क्षेत्र में फुटपाथ तो अतिक्रमण की चपेट के चलते लापता हैं तो अधिकांश सड़क का हिस्सा वाहन पार्किंग से घिरा रहता हैं। मुख्य मार्गो पर ई-रिक्शा शो रूम, कार बाजार, वाहन रिपेयरिंग का कार्य धड़ल्ले से चल रहा हैं। लेकिन कार्रवाई करने के स्थान पर प्रशासन मौन साधे बैठा हैं।
मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल पर भी शिकायत के बावजूद कार्रवाही नहीं
मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल पर भी शिकायत के बावजूद अधिकारी महीनों बाद भी अतिक्रमण के विरूद्ध कार्रवाही करने को तैयार नहीं हैं। मुख्यमंत्री पोर्टल पर के शिकायतों के त्वरित समाधान के आदेशों का भी अधिकारियों पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा हैं। वहीं कुछ ऐसे विभाग भी हैं जो शिकायतकर्ता की शिकायत का बिना निस्तारण किए ही मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल पर निस्तारण की झूठी व शिकायतकर्ता से संपर्क न होने की जानकारी डाल कर समाधान पोर्टल का मजाक उड़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं।