शहर हो या गांव, अतिक्रमण हर जगह की एक आम समस्या हैं। शहरों में यह समस्या काफी विकराल रूप ले चुकी है। गलियों में अवैध पार्किंग हो या दुकानों के जरिये सडक़ और फुटपाथ पर अतिक्रमण या फिर पार्क एवं खेल के मैदान में अतिक्रमण सिलसिला लगातार जारी हैं। इस समस्या से हर शहर का नागरिक परेशान रहता हैं। सड़कें और फुटपाथ अतिक्रमण के चंगुल में फंसे हैं। इस तरह के अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होती है। कई बार शिकायत किए जाने के बावजूद स्थानीय प्रशासन द्वारा इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। सरकारी मशीनरी इसे खाली कराने में मौन साधे है। सड़क की पटरियों पर दुकानदारों ने बेखौफ होकर अतिक्रमण किया है। इससे राहगीरों को परेशानी होती है। राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे से लेकर रोडवेज के फुटपाथ पर दुकानदारों के कब्जा कर लेने से आवागमन प्रभावित होने के साथ हादसों में लोग जान भी गवां चुके हैं। सड़कों व फुटपाथों पर अतिक्रमण न होने देने के निर्देश के बावजूद स्थानीय प्रशासन ने कागजों तक सीमित रखा है। पैदल चलने के लिए स्थान नहीं बचा है। वाहनों की लंबी कतार सड़कों पर मिलती है। बाजारों का हाल तो अतिक्रमण से घुटनभरा बन गया है। सुगम यातायात से लेकर शहर की सुंदरता पर ग्रहण बनता अतिक्रमण लगता हैं स्थानीय प्रशासन की नजर से अदृश्य सा हो गया है। इससे दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है।
ताजा मामला कनखल रामकृष्ण मिशन अस्पताल स्थित मार्ग पर किए गए अतिक्रमण का हैं। जहां मुख्य सड़क मार्ग पर अवैध रूप से सीढ़िया बनाकर नगर निगम की संपत्ति पर अतिक्रमण कर लिया गया हैं। एक तो मार्ग पहले से ही संकरा हैं दूसरा भवन स्वामी द्वारा सीढ़िया बनाए जाने से मार्ग और सिकुड़ गया हैं। तीव्र मोड़ होने के कारण इस मार्ग पर दुर्घटना होने की आशंका हमेशा बनी रहती हैं। बावजूद इसके अतिक्रमणकारी नियम, कानून को ताक पर रख अपनी भवन की सीमा से कई फीट आगे अतिक्रमण बढ़ा दिया हैं । इतना ही नहीं नालों पर कच्चे-पक्के निर्माण कर लिए हैं। तो वहीं दूसरी ओर निगम अधिकारी कार्रवाही आज-कल, आज-कल कहकर टालने में लगे हैं। जबकि अस्पताल के चलते पहले से ही यह भीड़भाड़ वाला क्षेत्र हैं । अस्पताल में आने वाले मरीज व मरीजों के तीमारदारों के वाहन भी सड़क पर ही पार्क होतें हैं। जिस कारण इस मार्ग पर कई बार तो जाम की स्थिति बन जाती हैं।
अतिक्रमण हटाने के अभियान में सफेदपोश और खद्दरधारी से लेकर व्यापारी संघ बचाव में उतर आते हैं। वहीं इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि प्रशासन की उदासीनता भी इसकी पोषक बनी हुई है।
सड़कें और फुटपाथों पर बढ़ते अतिक्रमण की वजह से लगातार सिकुड़ती जा रही हैं। सड़कों की समस्या की तरफ आखिर प्रशासन कब ध्यान देगा ? और कब इस समस्या का समाधान देगा ? इसको लेकर स्थानीय लोगों मन में खासे सवाल हैं तो वहीं स्थानीय लोग अतिक्रमण के मामले में मौन साधे बैठे प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल उठा रहे हैं।
अभी बीते दिनों बारिश में जलभराव का कारण अतिक्रमण भी माना हैं। लेकिन बावजूद इन सबके अतिक्रमण हटाने में प्रशासन खासी दिलचस्पी नहीं दिखा रहा हैं। जबकि तीर्थनगरी में कांवड़ मेला सिर पर हैं और खुद ही अधिकारी कांवड़ मेले में करोड़ों कांवड़ियों के आगमन का दावा कर रहा हैं।
फिलहाल , इससे निपटने के लिए प्रशासन कोई इंतजाम करता नहीं दिख रहा है। जबकि तीर्थनगरी में कांवड़ सीजन सिर पर हैं।