कनखल क्षेत्रांतर्गत में निवर्तमान पार्षद और फार्मेसी संचालक पौत्र ने मिलकर औद्योगिक इकाई श्रेणी की भूमि पर प्लाटिंग की योजना बना ली हैं। जबकि नियमानुसार औद्योगिक श्रेणी भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन नहीं किया जा सकता हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निवर्तमान पार्षद और फार्मेसी संचालक पौत्र ने नियम कायदे ताक पर रख कर औद्योगिक श्रेणी की भूमि पर प्लाटिंग की योजना बना रहे हैं। बताया जा रहा हैं कि बकायदा इस संपत्ति के सौदे के संबंध में निर्वतान पार्षद और फार्मेसी संचालक पौत्र का अधिकांश लेन-देन हो चुका हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री भी इस खरीद–फरोख्त में अप्रत्यक्ष रूप से निवर्तमान पार्षद के साझेदार बताए जा रहे हैं। घनी आबादी वाले क्षेत्र में स्थित यह संपत्ति बेशकिमती हैं और इस पर नेताजी की नजर काफी समय से थी। लेकिन भूमि औद्योगिक श्रेणी की होने के कारण मामला अभी अटक गया हैं और जुगाड़बाजी से इस संपत्ति के भू-उपयोग में परिवर्तन कराने के प्रयास में लगे हुए हैं।
बताते चलें कि निवर्तमान पार्षद का कनखल में इस संपत्ति से कुछ ही दूरी पर एक बड़ा प्रोजेक्ट ट्रस्ट की धार्मिक संपत्ति पर नियम विरूद्ध चल रहा हैं। बावजूद उसके शासन-प्रशासन मौन हैं। जिसके पीछे की वजह निर्वतमान पार्षद को अपने पार्टनर पूर्व कैबिनेट मंत्री और हरिद्वार के एक दिग्गज संत का आर्शाीवाद बताया जा रहा हैं। क्योंकि जहां कहीं शासन-प्रशासन में यदा-कदा कोई मामला अटकता हैं तो यही दो शख्स हैं जो कि निवर्तमान पार्षद बिल्डर की शासन-प्रशासन में पैरवी करते दिखते हैं। इसी के चलते बिल्डर एवं नेता की गगनचुम्बी इमारत का नियम विरूद्ध कार्य निरंतर प्रगति पर हैं।